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हमारे आस-पास पाए जाने वाले मोटे अनाज (Millets)

मोटे अनाज, जैसे मकई, मंडवा, झंगोरा, और कुणी हमारे आहार में कई महत्वपूर्ण फायदे प्रदान करते हैं। मोटे अनाज में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, और खनिज जैसे कैल्शियम, आयरन, और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होते हैं। ये अनाज ग्लूटेन मुक्त होते हैं, इसलिए जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी है या सीलियक रोग है, उनके लिए ये एक बेहतरीन विकल्प हैं। मोटे अनाज में उच्च फाइबर सामग्री होती है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है। फाइबर के कारण मोटे अनाज पाचन में सुधार करते हैं और कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। मोटे अनाज धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे रक्त शर्करा का स्तर स्थिर रहता है और लंबे समय तक ताजगी बनी रहती है।


मोटे अनाज आमतौर पर सूखे और कठोर जलवायु में उगाए जा सकते हैं, जिससे वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अधिक सहनशील होते हैं। मोटे अनाज की खेती पारंपरिक कृषि पद्धतियों का एक हिस्सा है, जो पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। मोटे अनाज विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किए जा सकते हैं, जिससे आहार में विविधता और स्वाद बढ़ता है। इन सब कारणों से, मोटे अनाज को अपने आहार में शामिल करना एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है। हमारे आस पास पाए जाने वाले कुछ मोटे अनाज इस प्रकार हैं।


  1. कोदा/मंडवा


    कोदा (जिसे मंडवा भी कहा जाता है) एक प्रकार का मोटा अनाज है, जो मुख्य रूप से भारत के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है। कोदा में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हैं। कोदा ग्लूटेन-मुक्त होता है, इसलिए यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है, जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी है। फाइबर की उच्च मात्रा के कारण कोदा पाचन में मदद करता है और कब्ज की समस्या को कम करता है


  2. मकई


    मकई, जिसे हिंदी में "मक्का" भी कहा जाता है, एक प्रमुख अनाज है जो विश्वभर में कई तरह से उपयोग किया जाता है। मकई में कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, विटामिन (जैसे विटामिन B, C) और खनिज (जैसे आयरन, जिंक) होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। मकई एक उत्कृष्ट ऊर्जा स्रोत है और इसमें मौजूद फाइबर पाचन को बेहतर बनाता है और कब्ज की समस्या से राहत देता है। मकई का उपयोग विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है, जैसे मकई की रोटी, भुट्टा, कॉर्न सलाद, और पॉपकॉर्न।


  3. जख्या


    जख्या, जिसे आमतौर पर "कंगनी" या "फॉक्सटेल मिलेट" के नाम से जाना जाता है, एक प्रकार का मोटा अनाज है। जख्या में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन B कॉम्प्लेक्स, और खनिज जैसे आयरन और कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। इसमें उच्च फाइबर सामग्री होती है, जो पाचन में सुधार करती है और कब्ज से राहत देती है। जख्या धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे यह रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में मदद करता है।


  4. सेम/क्षेमी


    सेम एक लोकप्रिय भारतीय और नेपाली दाल है, जो मुख्य रूप से लाल, सफ़ेद, पीली आदि रंग की होती है। इसे आमतौर पर चावल या रोटी के साथ परोसा जाता है। इसमें विभिन्न मसालों का इस्तेमाल होता है, जैसे - जीरा, अदरक, लहसुन, और टमाटर, जो इसे बेहद स्वादिष्ट बनाते हैं।


  5. झंगोरा


    झंगोरा (जंगोरा) एक प्रकार का मोटा अनाज है, जिसे मुख्य रूप से उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसे अंग्रेजी में Barnyard Millet कहा जाता है। झंगोरा छोटे-छोटे दानों वाला अनाज होता है और यह काफी पौष्टिक होता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिससे यह एक स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ बनता है।


  6. चना


    चना दाल एक लोकप्रिय दाल है जो भारत में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है। यह काले चने (Bengal Gram) को छीलकर और दो हिस्सों में विभाजित करके बनाई जाती है। चना दाल प्रोटीन, फाइबर, और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जो इसे भारतीय व्यंजनों का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है। चना दाल शाकाहारी लोगों के लिए एक उत्कृष्ट प्रोटीन स्रोत है। यह आहार फाइबर से भरपूर होती है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और कब्ज से राहत दिलाता है। यह विटामिन और खनिजों का भी अच्छा स्रोत है, जो शरीर की ऊर्जा और कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं।


  7. भट्ट / सोयाबीन


    भट्ट और सोयाबीन दोनों उत्तराखंड राज्य के लोकप्रिय खाद्य पदार्थ हैं। भट्ट एक प्रकार की काली सोयाबीन होती है, जिसे उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसका उपयोग कई पारंपरिक व्यंजनों में किया जाता है, जैसे कि "भट्ट की चुड़कानी" और "भट्ट का सूप"। यह प्रोटीन से भरपूर होता है और इसे सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। खासकर ठंड के मौसम में यह व्यंजन शरीर को गर्म रखने के लिए उपयोगी होता है।


  8. भांग


    भांग (Cannabis sativa) एक पौधा है, जिसे आमतौर पर भारत के कई हिस्सों में उगाया जाता है। भांग का उपयोग भारत में प्राचीन काल से होता आया है। इसे ऋग्वेद और अथर्ववेद जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी उल्लेखित किया गया है। भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में, भांग का उपयोग कुछ औषधीय मिश्रणों में किया जाता था। इसे उन औषधियों में डाला जाता था, जिनका उद्देश्य दर्द निवारण और मस्तिष्क को शांत करना होता था।


  9. रयांश


    रयांश भारत में एक लोकप्रिय दाल है, विशेष रूप से उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में। यह एक प्रकार की लेग्यूम (फली) है, जिसे मोट बीन या मोठ के नाम से भी जाना जाता है। इसे कुछ जगहों पर मटकी भी कहा जाता है। रयांश दाल प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, और खनिजों से भरपूर होती है। यह एक स्वस्थ आहार का हिस्सा मानी जाती है क्योंकि यह कम कैलोरी और उच्च पोषण प्रदान करती है। यह प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत है, विशेष रूप से शाकाहारी आहार में, और इसमें फाइबर की भी अच्छी मात्रा होती है जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करती है।


इन सब कारणों से, मोटे अनाज को अपने आहार में शामिल करना एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है। मोटे अनाज (Millets) का भारत में प्राचीन काल से बहुत महत्त्व है। ये पारंपरिक खाद्यान्न हैं जो न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होते हैं। मोटे अनाज, जैसे - कोदा, झंगोरा, मक्का, रागी, कौनी, चना आदि पोषण से भरपूर होते हैं और कठिन जलवायु परिस्थितियों में भी उगाए जा सकते हैं।

 
 
 

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