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संविधान दिवस का महत्त्व

भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1949 में भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से अपनाया गया था। यह दिन हमारे संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान निर्माण में योगदान देने वाले सभी सदस्यों को सम्मानित करने का अवसर है। भारत का संविधान देश की सर्वोच्च विधिक पुस्तक है। यह हमारे देश के शासन की आधारशिला है, जो नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है। यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है।



संविधान का दीप जलाएंगे,

नए भारत की राह बनाएंगे।

हर अधिकार का ज्ञान दिलाएंगे,

कर्तव्यों की अलख जगाएंगे।


बराबरी, भाईचारे का पाठ,

संविधान है देश का आत्मसात।

हर पन्ने में है आज़ादी की बात,

सिखाता है सच्चाई का साथ।


आओ, इसे संभालें, इसे निभाएं,

इसके आदर्शों को जीवन में लाएं।

बाबा साहब का सपना साकार करें,

भारत को और महान करें।


संविधान दिवस है प्रेरणा का दिन,

आओ मिलकर गाएं ये मंगल गान।

लोकतंत्र के इस दीप को जलाएं,

हर दिल में उम्मीदों का उजियारा लाएं।


संविधान हमें समानता, स्वतंत्रता, और न्याय जैसे मूलभूत अधिकार प्रदान करता है। यह हमें धर्म, जाति, लिंग या भाषा के आधार पर भेदभाव से बचाने का वादा करता है। साथ ही, यह नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्यों का भी प्रावधान करता है, ताकि देश का विकास और सामाजिक संतुलन बनाए रखा जा सके। संविधान निर्माण की प्रक्रिया 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों तक चली। इस प्रक्रिया में डॉ. भीमराव अंबेडकर के साथ संविधान सभा के 299 सदस्य शामिल थे। इस ऐतिहासिक दस्तावेज को तैयार करने में उन्होंने समाज के हर वर्ग के अधिकारों और जरूरतों का ध्यान रखा।


संविधान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना है। यह दिन हमें संविधान की महत्ता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए हमारी जिम्मेदारी का एहसास कराता है।


 
 
 

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