प्यारे प्यारे उत्तराखंड के पहाड़ी फूल
- PS Chaurnkhal
- Oct 18, 2024
- 6 min read
मेरे मन में बहुत समय से यह जिज्ञासा थी कि हमारे आस-पास जो इतने विविध प्रकार के फूल खिले होते हैं, उनके नाम क्या हैं? क्योंकि विद्यालय में व हमारे पुस्तकालय की पुस्तकों में भी कुछ फूलों जैसे गुलाब, गेंदा, गुड़हल, डहेलिया, सूरजमुखी, चमेली जैसे फूलों के बारे में जानकारी दी होती है। पर मेरे विद्यालय में व घर के आस-पास खेतों जंगलों आदि में विभिन्न फूल समय-समय पर खिलते रहते हैं। उनकी कोई भी जानकारी कहीं भी मुझे प्राप्त नहीं हुई। फिर मैंने अपने घर में अपने बड़े भाई-बहनों, मम्मी, पापा, दादा, दादी व विद्यालय में अपने शिक्षकों आदि से इन फूलों के बारे में जानकारी इकट्ठा की तो जिन फूलों की जानकारी उन्होंने मुझे दी वह कुछ इस प्रकार है।
बुरांस (Rhododendron Arboreum) विशेष रूप से हिमालयी राज्यों जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में प्रसिद्ध है। इस प्रजाति के लाल फूलों से एक ताज़ा रस बनाया जाता है, जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और इसे औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से दिल के स्वास्थ्य के लिए और सूजन कम करने में सहायक होता है। हिमालयी क्षेत्रों में बुरांस के फूलों से निकाला गया रस व्यापक रूप से पिया जाता है, जिसे ठंडक देने वाला और सूजन-रोधी गुणों वाला माना जाता है। बुरांस की पत्तियों और फूलों का उपयोग कुछ पारंपरिक उपचारों में सिरदर्द, सर्दी और पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है।
फ्योंली (Fyonli) विशेषकर उत्तराखंड की एक लोककथा और पीले रंग के सुंदर फूल का नाम है। इस कथा के अनुसार, फ्योंली एक युवती थी जो प्रेम में पड़ गई थी, लेकिन उसके पिता इस रिश्ते के खिलाफ थे। एक दिन क्रोध में आकर उसके पिता ने अनजाने में उसकी जान ले ली। उसके बलिदान और सच्चे प्रेम की भावना के कारण देवताओं ने उसे आशीर्वाद दिया और उसे एक पीले फूल के रूप में अमर कर दिया, जिसे आज भी फ्योंली के नाम से जाना जाता है। यह फूल वसंत के समय खिलता है और इसे स्थानीय पर्वों जैसे बसंत पंचमी और फूलदेई के दौरान विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।
मॉर्निंग ग्लोरी (Morning Glory) एक सुंदर और तेजी से बढ़ने वाला फूलदार पौधा है, जो अपने बांसुरी के आकार के फूलों के लिए जाना जाता है। ये फूल सुबह खिलते हैं और दोपहर या शाम तक बंद हो जाते हैं। यह पौधा अपने चमकीले रंगों के कारण बागों में बहुत लोकप्रिय है। इसके फूल नीले, बैंगनी, गुलाबी, सफेद और लाल जैसे रंगों में होते हैं। मॉर्निंग ग्लोरी खराब मिट्टी और शुष्क परिस्थितियों को भी सहन कर सकता है, जिससे इसकी देखभाल अपेक्षाकृत आसान होती है।
गेंदा (Marigold) बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। इसके फूल बाजार में खुले एवं मालाएं बनाकर बेचे जाते हैं। गेंदे की विभिन्न ऊंचाई एवं विभिन्न रंगों की छाया के कारण भू-दृश्य की सुन्दरता बढ़ाने में इसका बड़ा महत्व है। साथ ही यह शादी-विवाह में मण्डप सजाने में भी अहम् भूमिका निभाता है। इसके फूलों का धार्मिक एवं सामाजिक उत्सवों में बड़ा महत्व है क्योंकि इसके फूल हर मौसम में उपलब्ध रहते हैं।
मॉस रोज़ (Moss Rose) एक मांसल पौधा है जो कम उगने वाले तनों पर छोटी, रसीली पत्तियाँ पैदा करता है। इसके फूल जीवंत, एकल या दोहरे फूल होते हैं, आमतौर पर 1-2 इंच व्यास के होते हैं और विभिन्न रंगों में आते हैं। वे देर से वसंत से पतझड़ तक खिलते हैं और पूर्ण सूर्य से हल्की छाया में पनपते हैं। आकार के संदर्भ में, मॉस रोज़ एक छोटा पौधा है, जो आमतौर पर केवल 2-6 इंच लंबा होता है, जो इसे ग्राउंड कवर, हैंगिंग बास्केट या मिश्रित कंटेनरों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाता है।
रोज़ जिरेनियम (Rose Geranium), एक आकर्षक लाल रंग का फूल असीम सुंदरता और स्वास्थ्य लाभ के कारण प्रकृति का वरदान माना जाता है। हालांकि यह असामान्य है, इसका एरोमाथेरेपी के क्षेत्र में व्यापक उपयोग है। वैज्ञानिक रूप से पेलार्गोनियम ओडोराटिसिमेट नाम दिया गया है जो कि जिरेनियम का आवश्यक तेल है जो पेट की समस्याओं, तंत्रिका संबंधी बीमारियों आदि जैसी विभिन्न बीमारियों को ठीक करने में मदद कर सकता है।
सदाबहार (Periwinkle) के पत्ते हरे, चमकदार और चमड़े जैसे होते हैं। इसके फूल आमतौर पर सफेद, गुलाबी, लाल और बैंगनी रंग में होते हैं। ये फूल गर्मियों में खिलते हैं और लंबे समय तक टिके रहते हैं। यह पौधा अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और पूर्ण धूप को पसंद करता है। इसे गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से उगाया जा सकता है। इसके पत्तों और फूलों में कई औषधीय गुण होते हैं, जैसे कि यह मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कुछ प्रकार के कैंसर के इलाज में सहायक होता है। यह कई औषधियों का स्रोत भी है, जैसे कि "विंकाफाइन" और "विंकैलाइन," जो कैंसर के उपचार में प्रयोग होते हैं।
रेन लिली (Rain Lily) को मेजिक लिली भी कहा जाता है. यह एक सजावटी पौधा है और इसे इनडोर या बगीचे में लगाया जा सकता है. रेन लिली के फूल तारे के आकार के होते हैं। रेन लिली के फूल को वसंत में लगाना चाहिए, जब ठंढ का खतरा खत्म हो जाए। रेन लिली को पूरी धूप और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी में लगाना चाहिए। रेन लिली का एक फूल कुछ दिनों तक खिलता है। रेन लिली को कंटेनरों में भी उगाया जा सकता है।
इंडियन ब्लंकेट (Indian Blanket) के फूल आमतौर पर लाल, पीले और नारंगी रंगों के संयोजन में होते हैं। इसके पत्ते लंबे और हरे होते हैं, जो इसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं। यह पौधा गर्म और शुष्क जलवायु में उगता है। इसे अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और पूर्ण धूप की आवश्यकता होती है। ये पौधे सूखे और खराब मिट्टी में भी अच्छी तरह से पनपते हैं। इंडियन ब्लंकेट का उपयोग बागवानी में सजावटी पौधे के रूप में किया जाता है। इसके अलावा, यह शहद उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मधुमक्खियों को आकर्षित करता है।
डहेलिया (Dahelia) एक बहुवर्षीय फूल वाला पौधा है, जो अपने बड़े, रंग-बिरंगे और आकर्षक फूलों के लिए जाना जाता है। यह मुख्य रूप से बगीचों की सजावट के लिए उपयोग किया जाता है। डहेलिया की प्रजातियां विभिन्न आकार और रंगों में आती हैं, जिनमें लाल, गुलाबी, नारंगी, पीले, बैंगनी, सफेद और यहां तक कि द्वि-रंगी फूल भी शामिल हैं। डहेलिया आमतौर पर गर्मियों और शुरुआती शरद ऋतु में खिलता है। इसके फूल गुच्छेदार होते हैं और लंबे समय तक खिलते रहते हैं। डहेलिया का उपयोग मुख्य रूप से बगीचों और फूलों की क्यारियों की सजावट के लिए किया जाता है। इसके आकर्षक और विभिन्न रंगों के फूल इसे बागवानी के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बनाते हैं।
गुलदाउदी (Chrysanthemum) एक लोकप्रिय और सुंदर फूलदार पौधा है। यह अपने बड़े और रंग-बिरंगे फूलों के लिए जाना जाता है, जो सर्दियों के मौसम में खिलते हैं। यह पौधा बागवानी में अपनी सजावटी विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध है और इसे बगीचों, पार्कों, और घरों की सजावट के लिए व्यापक रूप से उगाया जाता है। आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में गुलदाउदी के फूलों का उपयोग बुखार, सिरदर्द, और उच्च रक्तचाप के उपचार में किया जाता है। इसके अलावा, इसका उपयोग त्वचा को निखारने और आँखों की देखभाल के लिए भी किया जाता है।
गुलाब (Rose) एक बहुवर्षीय, झाड़ीदार, कंटीला, पुष्पीय पौधा है जिसमें बहुत सुंदर सुगंधित फूल लगते हैं। इसकी १०० से अधिक जातियां हैं जिनमें से अधिकांश एशियाई मूल की हैं। गुलाब का फूल कोमलता और सुंदरता के लिये प्रसिद्ध है, इसी से लोग छोटे बच्चों की उपमा गुलाब के फूल से देते हैं। गुलाब की पंखुडियों और शक्कर से गुलकन्द बनाया जाता है। गुलाब जल और गुलाब इत्र भी गुलाब से बनाये जाते हैं।
गुड़हल (Hibiscus) एक सुंदर और प्रसिद्ध फूल वाला पौधा है, जिसे भारत में व्यापक रूप से बागवानी और औषधीय उपयोगों के लिए उगाया जाता है।गुडहल के फूलों और पत्तियों का उपयोग कई आयुर्वेदिक और पारंपरिक दवाओं में किया जाता है। इसका रस बालों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है और इसे बालों के झड़ने को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, इसका उपयोग उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और सूजन को कम करने के लिए किया जाता है।
बसिंगा (Basinga) यह एक औषधीय पौधा है, जिसके फूलों का आयुर्वेद में बहुत सी बीमारियों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। यह उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बहुतायत में पाया जाता है। बसिंगा से कई तरह की जड़ी-बूटियां तैयार की जाती हैं। इतना ही नहीं बसिंगा की सब्जी भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. बसिंगा की सब्जी खाने में स्वादिष्ट होती है। इसको खाने वाले लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। फरवरी और अप्रैल माह में जंगलों से इसके हरी हरी कलियों को तोड़ा जाता है। रात भर चलते पानी में इसे भिगाया जाता है। जिससे इसकी कलियों से कड़वापन निकल जाता है. जिसके बाद इसे सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है।
ग्वीराल (ग्वीराल) उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लोग ग्वीराल के फूल का रायता व फूल को उबालकर उसकी भरवा रोटी बनाकर खाते हैं जो गर्मियों में गर्म तासीर के लोगों को ठंडक पहुंचाने का काम करता है। ग्वीराल के फूल और फूलों से पहले कोंपल दोनो ही काम आते हैं। इसकी कोंपल से सब्जी व फूलों से भरवा पराठे बनाये जाते हैं।
Disclaimer: This information is collected by Devraj (Grade 5), Anshul (Grade 4) and documented by Pawan (Grade 4) as a part of their EVS Project during August-September 2024.
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